नई दिल्ली. कश्मीर में मारे गए 10 लाख के इनामी आतंकवादी बासित डार की लोकेशन खुफिया एजेंसी को दूसरे आतंकवादी संगठन पीएएफएफ ने लीक की थी? यह आरोप कश्मीर में आतंक मचा रहे दूसरे आतंकवादी संगठन टीआरएफ ने लगाया है. इसके साथ ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा पाले गए दो आतंकवादी संगठनों के बीच तलवारें खिंच गई है. जम्मू कश्मीर में भारतीय वायु सेवा के काफिले पर हमला होने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने लगातार ऑपरेशन चलाया और इस ऑपरेशन के दौरान आतंकवादी संगठन टीआरएफ के एक बड़े आतंकवादी बासित डार को उसके एक साथी समेत मार गिराया.
बासित डार नाम का यह आतंकवादी जम्मू कश्मीर में अनेक बड़ी आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार था. इसके फौरन बाद जम्मू कश्मीर में आतंक फैला रहे आतंकवादी संगठन टीआरएफ ने एक बयान जारी किया. आधिकारिक तौर पर दिए गए इस बयान में टीआरएफ ने कहा कि उनके दो बहादुर सैनिक सोपोर बारामूला में भारतीय फौज से लड़ते हुए मारे गए हैं. इस बयान में आतंकवादी संगठन टीआरएफ ने दूसरे आतंकवादी संगठन पीएएफएफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे कई चेतावनियों के बावजूद पीएएफएफ सुरक्षा बलों के साथ उलझने में लगा हुआ है, जिससे जान माल की हानि हो रही है. टीआरएफ को जो जान माल की हानि हुई उसे टाला जा सकता था.
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इस तरह की घटनाएं केवल कमांडरों की क्षमता को उजागर करती हैं, जिन्होंने हमारे बहादुर साथियों को कब्जाधारी ताकतों के हाथों मरने के लिए छोड़ दिया है. लगभग 8 वर्षों तक लड़ने के बाद भी हमारे सैनिक पत्तों की तरह गिर गए और हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो गई. टीआरएफ के बयान में कहा गया है कि हम पीएएफएफ के सेनानियों से आग्रह करते हैं कि वह हिंदुत्व ताकतों के साथ जुड़ने के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करें और बहुमूल्य जीवन को अनावश्यक नुकसान से बचाए. यानी अपने बयान में टर्फ ने अपने साथी आतंकवादी संगठन पर खुले तौर पर आरोप लगा दिया कि उसके कमांडर की मौत उसके आतंकवादी संगठन की वजह से हुई है. बताया जाता है की टीआरएफ की हशयह नाराजगी भारतीय वायु सेवा के काफिले पर हुए हमले को लेकर सामने आई थी क्योंकि इस हमले को टीआर एफ अपनी जिम्मेदारी बताना चाहता था क्योंकि इस हमले से 3 दिन पहले ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने पाकिस्तान वायुसेना के कार्यक्रम में बोलते हुए कश्मीर में रह रहे लोगों को हर तरह की मदद देने की घोषणा की थी और उसके बाद ही आननफानन में भारतीय सुरक्षा बलों पर हमला किया गया था. लिहाजा टीआर एफ चाहता था कि पाकिस्तान सेना के सामने उसका नाम हो और वह इसकी जिम्मेदारी क्लेम करें जबकि दूसरे आतंकवादी संगठन पीएएफएफ ने यह जिम्मेदारी अपने नाम ले ली थी.
सूत्रों के मुताबिक टीआरएफ ने इस बाबत पाकिस्तान खुफिया एजेंसी को भी सूचित किया है कि बासित डार के मारे जाने में पीएएफएफ के किसी आतंकवादी का हाथ हो सकता है इस मामले में पीएएफएफ के एक शीर्ष कमांडर फारुख का नाम भी सामने आ रहा है इसके बारे में टीआरएफ का आरोप है कि वह भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मिल गया है. फिलहाल गेंद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के पाले में है और हो सकता है कि वह इस मसले को लेकर जल्द ही लश्कर और जैश कमांडरों की कोई बैठक बुलाए जिससे दोनों आतंकवादी संगठनों के बीच सुलह हो सके.
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FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 22:00 IST