सीहोर। मंडी क्षेत्र में स्थित श्री राम मंदिर परिसर में आयोजित हो रही संगीतमय श्री राम कथा के चौथे दिन गुरुवार को पंडित बाबू दास वैष्णव ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान राम के जन्मोत्सव के बाद उनकी बाल लीलाओं की कथा सुनाते हुए कहा कि बच्चों को यदि बचपन से ही भगवान राम की कथा सुनाई जाए तो बच्चों में भगवान राम के जैसे ही संस्कार आएंगे। रामकथा सुनने से घर-घर में भगवान राम पैदा होंगे। पंडित श्री वैष्णव ने प्रभु श्रीराम के नामकरण, जनेऊ संस्कार और बाल लीलाओं का अत्यंत भावपूर्ण और रोचक चित्रण किया। उन्होंने बताया कि जब दशरथ नंदन श्री राम का जन्म कौशल्या की कोख से हुआ, तो अयोध्या नगरी में अद्वितीय आनंद और उल्लास का माहौल छा गया। अतिथियों का सैलाब अयोध्या की ओर उमड़ा। सभी देवता, यहां तक कि भोले भंडारी महादेव भी प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए अवध में आए। कथा व्यास ने बताया कि अनुसार, ब्रह्मा सहित सभी देवता भगवान श्रीराम का दर्शन कर स्तुति करने के बाद लौट गए, लेकिन भगवान शंकर प्रभु की बाल लीलाओं में ऐसे रम गए कि वे अयोध्या की गलियों में विभिन्न वेश धारण कर विचरण करने लगे। कभी राजा दशरथ के राजमहल में गायक बनकर, तो कभी भिक्षु के रूप में भगवान के दर्शन करते। शंकरजी का अपने आराध्य के प्रति यह अद्वितीय प्रेम और समर्पण कथा के श्रोताओं के हृदय को छू गया। कथा के दौरान बताया कि राजा दशरथ ने अपने गुरु वशिष्ठ से चारों पुत्रों का नामकरण संस्कार करवाया। श्री राम सहित चारों भाइयों ने अपने गुरुजनों और माता-पिता का आशीर्वाद लिया। इसके बाद भगवान श्रीराम ने बाल्यकाल में ही ताड़का का वध किया और ऋषि मुनियों को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई। चौथे दिन की कथा के समापन अवसर पर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान राम की आरती कर प्रसाद ग्रहण किया। राम मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय राम कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगीतमय कथा का आनंद ले रहे है।