December 23, 2024 8:17 pm

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बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय तथा अन्य धार्मिक अल्प संख्यकों के विरुद्ध हो रहे योजना बद्ध अत्याचारों की ओर आकर्षित करता ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा

हम, भारत के जागरूक नागरिक, आपके सम्मुख अत्यंत पीड़ा और चिंता के साथ यह ज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य आपका ध्यान बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय तथा अन्य धार्मिक अल्प संख्यकों के विरुद्ध हो रहे योजना बद्ध अत्याचारों की ओर आकर्षित करना है। इन अत्याचारों का स्वरूपन केवल हिंसात्मक है, बल्कि यह मानवता, धर्मनिरपेक्षता, औरअंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के मूल भूत सिद्धांतों पर भी कुठारा घात करता है।

बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की दुर्दशा

बांग्लादेश, जो कभी बंगाल की सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि का प्रतीकथा, आज वहां की राजनीतिक अस्थिरता और धार्मिक कट्टरता के कारण मानवाधिकारों के उल्लंघन का केंद्र बन गया है। विशेष कर हिन्दूसमुदाय, जो वहां का एक महत्वपूर्णअल्पसंख्यक समूह है, आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष रत है। मंदिरों पर हमले, पवित्र मूर्तियों का अपमान, जबरन धर्मांतरण, संपत्तियों की लूटपाट, यौनहिंसा, और यहां तक कि नृशंसहत्याएं- ये सभी कृत्य वहां के

अल्पसंख्य कों के जीवन को असहनीय बना चुके हैं।

विगत घटनाओं का विवरण

हम आपके समक्ष हाल ही में बांग्लादेश में घटित कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख करना चाहते

हैं, जो वहां के हिन्दू समुदाय की दयनीयस्थिति को स्पष्ट करती हैं:

1. रंगपुर में काली मंदिर पर हमला (नवंबर 2024): रंगपुर जिले में एक ऐतिहासिक कालीमंदिर पर कट्टर पंथी समूह द्वारा हमला किया गया। इस हमले में मूर्तियों को खंडित कर दिया गया और मंदिर को आग के हवाले कर दिया गया। यह हमला न केवल हिन्दू समुदायकी धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाने वाला था, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का भी उल्लंघन है।

2. चटगांव में किशोरी का अपहरण (अक्टूबर 2024): चटगांव में एक हिन्दू किशोरी का अपहरण कर जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया गया। विरोध करने पर उसके परिवार को
सामाजिक बहिष्कारऔर धमकियों का सामना करना पड़ा, और अंततः उस निर्दोष बालिका की हत्या कर दी गई।

3. कुमिला में दुर्गा पूजा पंडाल पर हमला (सितंबर 2024): दुर्गा पूजा के अवसर पर कुमिला

जिले में एक पूजा पंडाल पर कट्टर पंथियों ने हम लाकर मूर्तियों को खंडित कर दिया और उपस्थित श्रद्धालुओं को घायल कर दिया।

4. नरेनगंज में आगजनी (अगस्त 2024): हिन्दू व्यापारियों की दुकानों को आग लगा कर जला दिया गया, जिससे उन्हेंभारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी। यह घटना उनकी धार्मिक पहचान के कारण की गई।

5. सिलहट में पुजारी की हत्या (जुलाई 2024): सिलहट में एक वरिष्ठ हिन्दू पुजारी की नृशंसहत्या कर दी गई। यह हम लाधार्मिक नेताओं को आतंकित करने और हिन्दू समुदाय को भयभीत करने के उद्देश्य से किया गया।

6. गाजीपुर में संपत्ति पर कब्जा (जून 2024): गाजीपुर जिले में हिन्दू परिवारों को उनके घरों से जबरन बेदखल कर उनकी संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर लिया गया, जिससे वे विस्थापन और असुरक्षा काशिकार हो गए।

7. बारीसाल में सामूहिक बलात्कार (मई 2024): वारीसाल में एक हिन्दू महिला के साथ सामूहि कब लात्कार की घटना घटी। इस क्रूरतम कृत्य के बावजूद पुलिस प्रशासन ने मामले को दर्ज कर ने में अनिच्छा दिखाई।

8. फेनीमेंसामूहिकहमला (अप्रैल 2024): फेनीजिलेकेएकहिन्दूबहुलगांवपरहमलाकर 50 सेअधिकघरोंकोजलादियागया, जिससेसैकड़ोंलोग विस्थापितहोगएऔरउनकीआजीविकासमाप्तहोगई।

9. राजशाही में होली उत्सव पर हमला (मार्च 2024): राजशाही जिले में होली उत्सव के दिन हिन्दू समुदाय पर हमला कर कई लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया और उनकी संपत्तियों को लूट लिया गया।

10. ढाका में मंदिरअपवित्रीकरण (फरवरी 2024): ढाका के एक प्रमुख हिन्दू मंदिर पर हम लाकर धार्मिक ग्रंथों को अपवित्र किया गया और पुजारियों को हिंसात्मक रूप से प्रताड़ित कर भगा दिया गया। स्थिति की गंभीरता11. माननीया महोदया,

उपरोक्त घटना एय हदर्शाती हैं कि बांग्लादेश में हिन्दू और अन्य अल्पसंख्य कसमुदाय एक सुनियोजितषड्यंत्र काशिकार हो रहे हैं। वहां की सरकार एवं प्रशासनिक तंत्र इन घटनाओं को रोकने में असमर्थ या उदासीन प्रतीत हो रहा है। इस प्रकार के अत्याचारन केवल धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करते हैं, बल्कि यह मानवता के प्रति भी अपराध है। हमारी विनम्र मांगें

 

1. कूट नीतिक हस्तक्षेपः भारत सरकार बांग्लादेश सरकार के समक्ष इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराए और वहां के हिन्दू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कूटनीति कदबाव बनाए।

2. अंतर राष्ट्रीय मंचों पर आवाजः संयुक्तराष्ट्र, मानवाधिकार आयोग, और दक्षिण एशिया ईक्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में इस विषय को गंभीरता से उठाया जाए ताकि अंतर राष्ट्रीय समुदाय इस पर हस्तक्षेप करे।

3. मीडिया जागरूकताः इन घटनाओं को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित किया जाए ताकि वैश्विक जागरूकता बढ़े और दबाव बने।

4. राहत एवं पुनर्वासः भारत सरकार सहितविश्व के सभी मानवता वादीदेश, मानवाधिकारी संगठन मिल कर पीड़ित परिवारों को आर्थिक, कानूनी, और मानसिक सहायता प्रदान करे और उनके पुनर्वास हेतु ठोस कदम उठाए।

5. संविधानिक अधिकारों की रक्षाः बांग्ला देश सरकार पर यह दबा वडाला जाए कि वह अपने संविधान के तहत अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें सम्मानपूर्व कजीवन जीने का अवसर प्रदान करे।

निष्कर्ष

माननीया राष्ट्रपति महोदया,

यह समय केवल मूक दर्शक बने रहने का नहीं है, बल्कि एक सशक्त राष्ट्र के रूप में भारत को अपने पड़ोसी देश में होर हेइन अत्याचारों के विरुद्ध ठोस कदम उठाने का है। आप का नेतृत्वन केवल बांग्ला देश के पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय को न्याय दिलाने में सहायक होगा, बल्कि यह भारत की संवेदनशीलता, कूटनीतिककुशलता, और वैश्विकनेतृत्व को भी प्रदर्शित करेगा। हमें आपसे आशा है कि आप इस ज्ञापन को गंभीरता से संज्ञान में लेंगी और आवश्यक कार्रवाई
हेतु तत्परता से कदम उठाएंगी। सादर

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